कवई मछलियाँ एक तरह की घरेलू मछलियाँ होती है जिन्हें की तालाबो और मछलीघरो में रखा जाता है | यह मछलियाँ साफ़ पानी में रहने वाली होती है | इन मछलियों में कई प्रकार के रंग और आकृतियाँ होती है | और इनकी पहचान भी अपने रंग और डिजाईन की वजह से ही होतीं है, यही कारण है की इन्हें मछलीघरो में रखा जाता है | यह ज्यादातार लाल, हरे, काले, सफ़ेद, पीले और नीले रंग में होती है |
कवई मछलियाँ एक तरह की घरेलू मछलियाँ होती है जिन्हें की तालाबो और मछलीघरो में
रखा जाता है | यह मछलियाँ साफ़ पानी में रहने वाली होती है | इन मछलियों में कई प्रकार
के रंग और आकृतियाँ होती है | और इनकी पहचान भी अपने रंग और डिजाईन की वजह से ही
होतीं है, यही कारण है की इन्हें मछलीघरो में रखा जाता है | यह ज्यादातार लाल,
हरे, काले, सफ़ेद, पीले और नीले रंग में होती है | परन्तु अब संकरण की वजह से इनमें
और भी बहुत सरे रंग देखे जाते है |
कवई मछलियों में सबसे विख्यात प्रजाति है गोसंके कवई | यह मछलियाँ ठन्डे पानी
वाली होती है और यह अपने आस पास के माहोल में बहुत जल्दी घुल मिल जाती है | इनही
कारणों से इन्हें घरो में रखा जाता है | यह मछलियाँ अपने आप को वातावरण के अनुकूल
बना लेती है जिस कारण इनकी ज्यादा देख भाल भी नहीं करी पड़ती है |
इन मछलियों का रंग हर युग के साथ और भी विकसित होता जाता है | और इनकी तव्चा पे
और भी अद्भुत तरह की आकृतियाँ विकसित हो रही है | इन मछलियों की लम्बाई लगभग 3 - 3.30
फीट तक होती है | यह अपनी अधिकतम लम्बाई हासिल करने से पहले हर रोज लगभग 1 सेंटीमीटर
तक बढती है | इनके शारीर के आकार में कोई खास विवधता नहीं होती है और लगभग सभी एक
ही आकार में विकसित होती है, बस यह अपने रंग और आकृतियों में अलग अलग होती है |
इन मछलियों की प्रतिरक्षा शक्ति बहुत कम होती है | हालांकि यह मछलियाँ ठन्डे
पानी में रहने वाली होती है परन्तु अगर पानी का तापमान 10 ̊c के निचे जाता है तो उस तापमान में इन मछलियों
का बच पाना बहुत मुश्किल होता है | 15̊-25 ̊c तक का तापमान इनके लिए उपयुक्त होता है | कवई मछलियाँ अपना खाना पानी के
अन्दर ही खा लेती है परन्तु जब से इन्हें मछलीघरो और तालाबो में पाला जाने लगा तब
तब से इन मछलियों ने पानी के ऊपर आके खाना खाना सीख लिया है | पानी के ऊपर खाना
देना का एक और मकसद था ताकि इन मछलियों की बिमारियों और संक्रमण को जाँचा जा सके |
अब इन
मछलियों ने अपने आप को इतना विकसित कर लिया है कि यह खाना खिलने वाले व्यक्ति को
पहचान लेती है और अपने आप ही पानी के ऊपर आ जाती है | अब तो इन मछलियों को इतना
सिखा दिया गया है कि यह पानी से छलांग लगा कर खुद हाथ से खाना ले लेती है |
The candidates who want to make their career in teaching profile, it is compulsory for them to qualify UPTET 2018 exam so that they can apply for the teaching job in government sector. The UP TET consist of 2 papers.
ReplyDelete