पहला विश्व युध खत्म होने के बाद फ्रांस अपने आप को युध में हुए नुकसान से उभार रहा था, तब कुछ शेहरो का खर्चा निकालना सरकार के लिए मुश्किल हो रहा था, उन शेहरो में एक शेहर पेरिस भी था, और ऐसे में एइफ्फेल टावर जैसी बड़ी ईमारत के देख रेख में सरकार काफी पैसा खर्च कर रही थी, और यह सरकार के लिए चिंता का सबब बना हुआ था | इस बात का फायदा उठाने का ख्याल विक्टर के मन में आया |
विक्टर का जन्म 4 जनवरी, 1890 में ऑस्ट्रिया में हुआ था | वह हमेशा से ही
पढाई लिखाई में रूचि नहीं रखते थे | बल्कि उन्हें हमेशा से ही कुछ जोखिम भरे काम
करने में मज़ा आता था | उनको काफी सारी भाषाओ का ज्ञान था जो की उनके काम में उनकी
मद्द करता था |
उन्होंने अपने ठगी से भरे भविष्य की शुरुआत समुद्र में आने जाने वाले जहाजो
में ठगी चालू करी और उससे काफी पैसा कमाया और जब उन्हें यह आभास होने लगा की अब
उनकी धोका ज्यादा दिन नहीं चल पायेगी तो उन्होंने कुछ नया करने का सोचा | विक्टर
ने अपने जीवन में बहुत सारी धोके बजी की है पर कुछ किस्से ऐसे है जिन्हें सुनके
लोग दांग रह जाते है |
विक्टर ने एक बार नकली नोट बनाने की मशीन को बेचने का काम किया | उन्होंने यह
मशीन काफी सरे लोगो को बेचीं | विक्टर पहले इस मशीन से लोगो को नकली नोट के सैंपल निकाल
के दिखता और उन्हें लोगो को बेच देता था | मशीन की बनावट कुछ इस प्रकार थी की वह
कुछ समय तक तो मशीन नोट को प्रिंट करती थी पर उसके बाद खली कागज देती थी | मशीन का
घोटाला उन्होंने बहुत लोगो के साथ किया और इसके बाद वो पेरिस चले गए | पेरिस जाके
उन्होंने अपने जीवन की सबसे बड़ी ठगी की |
पहला विश्व युध खत्म होने के बाद फ्रांस अपने आप को युध में हुए नुकसान से
उभार रहा था, तब कुछ शेहरो का खर्चा निकालना सरकार के लिए मुश्किल हो रहा था, उन
शेहरो में एक शेहर पेरिस भी था, और ऐसे में एइफ्फेल टावर जैसी बड़ी ईमारत के देख रेख
में सरकार काफी पैसा खर्च कर रही थी, और यह सरकार के लिए चिंता का सबब बना हुआ था
| इस बात का फायदा उठाने का ख्याल विक्टर के मन में आया |
विक्टर ने कुछ फर्जी सरकारी दस्तावेज़ बनवाए और कुछ छे लोहा व्यापारियों के साथ
एक बैठक राखी और वो भी समय के पेरिस के सबसे बड़े होटलों में से एक de Crillon में,
जिससे की किसी को शक न हो | Lustig ने उन व्यापारियों के सामने ख़त और डाक बिभाग के
उपमहानिदेशक के तौर पर बैठक की और उन व्यापारियों को इस बैठक को गोपनीय रखने को
बोला | उन्होंने सरकार का हवाला देते हुए कहा की सरकार नहीं चाहती की यह बात अभी
आम जनता को पता चले | Lustig ने उन व्यापारियों के साथ एइफ्फेल टावर का दौरा भी
किया, ताकि उन व्यापारियों को पक्का विश्वास हो जाये की एइफ्फेल टावर बिकने वाला
है |
उन सब व्यापारियों में से एक था आंद्रे पोइस्सों जो की बाकि व्यापारियों से
थोडा व्यापर में थोडा कमजोर था और यह बात विक्टर को पता थी | कमजोर व्यापर होने की
वजह से आंद्रे टावर को खरीदने के लिए राज़ी हो गया | इस सौदे में विक्टर ने बहुत
सारा पैसा कमाया और गायब हो गया | इस ठगी से आंद्रे डिप्रेशन में चला गया और ठगी
की शर्म के चलते किसी से कुछ नहीं किया |
इस घटना के करीब छे महीने बाद विक्टर दुबारा पेरिस आया और एक बार फिर से एइफ्फेल
टावर को बेचने के लिए मीटिंग की पर इस बार बेचने से पहले ही पुलिस ने व्यापारी की
शिकायत पर उसे पकड़ लिया | इस तरह Lustig ने लगभग दूसरी बार भी एइफ्फेल टावर बेच ही
दिया था |
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