ब्रह्माण्ड का केंद्र (Center of Universe) अमेरिका के ओक्लाहोमा राज्य के तुलसा शहर डाउनटाउन में है | ब्रह्माण्ड का केंद्र सुनने में तो एक बड़ी सी जगह लगती है पर यह बस एक गोल घेरा ही है जो एक 30 इंच व्यास (diameter) का एक गोला है जो की कंक्रीट का बना हुआ है | इसकी गोलाई में एक और गोला है जो की लगभग 13 ईंटो से बना हुआ है जिसका व्यास लगभग 8 फीट है |
ब्रह्माण्ड का केंद्र (Center of Universe) अमेरिका के ओक्लाहोमा राज्य के
तुलसा शहर डाउनटाउन में है | ब्रह्माण्ड का केंद्र सुनने में तो एक बड़ी सी जगह
लगती है पर यह बस एक गोल घेरा ही है जो एक 30 इंच व्यास (diameter) का एक गोला है जो की कंक्रीट का बना हुआ
है | इसकी गोलाई में एक और गोला है जो की लगभग 13 ईंटो से बना हुआ है जिसका व्यास
लगभग 8 फीट है |
नाम सुन के ऐसी जगह को देखने का मन करता है पर जब इस जगह आप जायेंगे तो बस
यहाँ एक छोटा सा गोला है | दिखने में सिर्फ ये बस एक गोला ही है पर जब इसके बारे
जानने को मिलता है तो पता चलता है की एक बहुत ही रेहस्मायी जगह है जिसके ऊपर बहुत
सारे वैज्ञानिक शोध कर रहे है | पर वो भी नहीं बता पाए की इस जगह पर ऐसा कारनामा
क्यों होता है जो की विज्ञान को पूरी तरह नकार देता है | जिसपे विज्ञान का कोई सा
कानून लागु नहीं होता है |
केंद्र के गोल घेरा पे जा कर जब कोई भी व्यक्ति कुछ बोलता है तो वह आवाज सिर्फ
उसी व्यक्ति को सुनाई देती है जो की उस घेरे में खड़ा होता है और वो भी काफी तेज़
ध्वनि में गूंजती है और जो लोग बाहर खड़े होते है उन्हें घेरे के अन्दर खड़े व्यक्ति
की आवाज सुनाई नहीं देती है | हाँ बाहर वाले लोगो की आवाज घेरे में खड़े व्यक्ति को
सुनाई देती है पर वो भी बहुत ही बिगड़े हुए तरीके से, जिससे घेरे में खड़े व्यक्ति
को आवाज़ सुनने और समझने में दिक्कत होती है |
वैज्ञानिक आज भी इसकी शोध में लगे हुए है की आखिर ऐसा कैसे होता है, न ही
सामने कोई दिवार है और आस पास में भी ऐसे कोई स्तम्भ भी नहीं लगे है जिसकी वजह से
ऐसा होता हो | कुछ वैज्ञानिकों का मानना है की ये ब्रह्माण्ड का केंद्र है तो यहाँ
ब्रह्माण्ड की सारी उर्जा यहाँ मिलती है जिस वजह से ऐसा होता है | पर इस धटना से
जो विज्ञान के काननों का खंडन होता है उस पर वैज्ञानिक आज भी काम कर रहे है |
वैज्ञानिकों का ऐसा भी मानना हैं की यह ध्वनि के प्रभाव की वजह से है जो जगह के
हिसाब से बदलती है उस कारण ऐसा होता है और कुछ कहते है की यह परवलयिक परावर्तन (Parabolic
Reflectivity) की वजह से होता है |
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